अक्से-यादे-यार को धुंधला किया है,
मैंने ख़ुद को जानकर तन्हा किया है।
भूल कर तुझको पशेमा हूँ बहुत मै,
लोग कहते है बहुत अच्छा किया है।
दिन ढले और शाम का दीदार हो फ़िर,
काम दिन भर इसलिए इतना किया है।
जितनी शम्मे है हवा को सोंप दूँ फ़िर,
कोन पूछेगा की क्यों एसा किया है।
शहर ये आबाद था शाहिद हूँ मै भी,
किस की वहशत ने इसे सहरा किया है।
बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंइधर परिवारिक कारणों से व्यस्त रहा, अतः ब्लॉगजगत से दूरी रही..क्षमाप्रार्थी हूँ.
जवाब देंहटाएंअब धीरे धीरे पुनः वापसी का प्रयास है.
नियमित लिखें. आपको शुभकामनाऐं.
बहुत ही सुंदर बिंदास . बधाई.
जवाब देंहटाएंबहोत ही उम्दा ग़ज़ल बहोत खूब.........
जवाब देंहटाएंबढ़िया !
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
बहुत प्रभावशाली और यथाथॆपरक रचना है । आपकी पंिक्तयां वास्तिवकता को िजस सुंदर तरीके से अिभव्यक्त करती हैं, वह बडा हृदयस्पशीॆ है । भाव और िवचार के समन्वय ने रचना को मािमॆक बना िदया है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है- आत्मिवश्वास के सहारे जीतंे िजंदगी की जंग-समय हो पढें और प्रितिक्रया भी दें-
जवाब देंहटाएंhttp://www.ashokvichar.blogspot.com
बहुत ही सुंदर कविता आप ने लिखी है.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत अच्छा लिखा है आपने .........
जवाब देंहटाएंमेरी शुभकामनाएं
bahut sunder kavita
जवाब देंहटाएंपरिस्थितिया तन्हाई को जन्म देती है और तनहा शख्स अवाक होता है,प्रश्न में डूबा रहता है.......जिसे आपने बहुत खुबसूरत शब्द दिए हैं
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंअक्से-यादे-यार को धुंधला किया है,
जवाब देंहटाएंमैंने ख़ुद को जानकर तन्हा किया है।
भूल कर तुझको पशेमा हूँ बहुत मै,
लोग कहते है बहुत अच्छा किया है।
Bas wahi hai tumhari fariyaad sunne wala
जवाब देंहटाएंjis ne sabko paida kiya hai