कभी साया है,कभी धुप मुकद्दर मेरा,
होता रहता है यूं ही कर्ज बराबर मेरा।
टूट जाते है कभी मेरे किनारे मुझमे,
डूब जाता है कभी मुझमे समन्दर मेरा।
किसी सेहरा में बिछड़ जायेंगे सब यार मेरे,
किसी जंगल में भटक जाएगा लश्कर मेरा।
बावफा था तो मुझे पूछनेवाले भी न थे,
बेवफा हूं तो हुआ नाम भी घर-घर मेरा।
कितने हंसते हुए मोसम अभी आते लेकिन,
एक ही धुप ने कुम्हला दिया मंजर मेरा।
bahut badhiyaa..........
जवाब देंहटाएंअरे यार बडा अच्छा फोटो लगाया है . हम तो इसी को देखकर भावुक हो गए . अच्छा लिखा !
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया....फोटो भी सुंदर है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिख आप ने , आप इस फ़ोटो को पहेली के रुप मे पुछ सकते है, यह फ़ोटो किस का है??
जवाब देंहटाएंअगर मालुम ना हो तो बताना, वेसे आप को पता तो होगा ही.
धन्यवाद
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंkya bat hai
जवाब देंहटाएंbahut khuub
जवाब देंहटाएंabhi mousam aur aayenge...intjaar kariye badhai
जवाब देंहटाएंजीवन में कभी साया और कभी धूप से गुजरना पड़ता है. इसी का नाम जीवन है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं