पिंटू जी नमस्कार, आपका ब्लॉग देखा अच्छा लिखते हैं, पर एक कमी है.. आपने अपने ब्लॉग की भूमिका बिल्ल्कुल रश्मि दीदी के ब्लॉग वाली ही उतार कर रख दी है, उनकी भूमिका हमे भी पसंद है पर हम में से किसी ने नहीं नक़ल की, अच्छा नहीं लगता है.. आप अगर दीदी से कहेंगे तो वो आपके ब्लॉग के लिए भही भूमिका लिख देंगी.. कविता या भूमिका आपका अपना व्यक्तित्व होता है, आप किसी से प्रेरित तो हो सकते हैं पर हू बहु उसकी नक़ल नहीं हो सकते वरना आपका अपना अस्तित्व ही नहीं रहेगा..उम्मीद है आप इस गलती को जल्द ही सुधर कर अपनी साफ़ सुथरी छवि बनायेंगे..शुक्रिया..नीचे दीदी के ब्लॉग का लिंक दे रहा हू जिस से आपके ब्लॉग की भूमिका मिलती है..--http://lifeteacheseverything.blogspot.com/
जब व्यक्ति अपना विवेक खो देता है तो वह सिर्फ गलतियाँ ही करता है .आप भी दीदी की भूमिका को अपना कहने की गलती कर रहे हैं .क्या अब भी आपको अपने प्रश्न का उत्तर चाहिए ?स्पष्ट कर दूं की विवेक क्या है ?व्यक्ति को जब सही और गलत की पहचान न रह जाये तो कहते हैं की विवेक खो गया .साहित्य का सृजन मौलिक होना चाहिए .आपकी भावनाओं को आहात करने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ
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पिंटू जी नमस्कार, आपका ब्लॉग देखा अच्छा लिखते हैं, पर एक कमी है.. आपने अपने ब्लॉग की भूमिका बिल्ल्कुल रश्मि दीदी के ब्लॉग वाली ही उतार कर रख दी है, उनकी भूमिका हमे भी पसंद है पर हम में से किसी ने नहीं नक़ल की, अच्छा नहीं लगता है.. आप अगर दीदी से कहेंगे तो वो आपके ब्लॉग के लिए भही भूमिका लिख देंगी.. कविता या भूमिका आपका अपना व्यक्तित्व होता है, आप किसी से प्रेरित तो हो सकते हैं पर हू बहु उसकी नक़ल नहीं हो सकते वरना आपका अपना अस्तित्व ही नहीं रहेगा..
जवाब देंहटाएंउम्मीद है आप इस गलती को जल्द ही सुधर कर अपनी साफ़ सुथरी छवि बनायेंगे..
शुक्रिया..
नीचे दीदी के ब्लॉग का लिंक दे रहा हू जिस से आपके ब्लॉग की भूमिका मिलती है..--
http://lifeteacheseverything.blogspot.com/
जब व्यक्ति अपना विवेक खो देता है तो वह सिर्फ गलतियाँ ही करता है .आप भी दीदी की भूमिका को अपना कहने की गलती कर रहे हैं .
जवाब देंहटाएंक्या अब भी आपको अपने प्रश्न का उत्तर चाहिए ?
स्पष्ट कर दूं की विवेक क्या है ?
व्यक्ति को जब सही और गलत की पहचान न रह जाये तो कहते हैं की विवेक खो गया .
साहित्य का सृजन मौलिक होना चाहिए .
आपकी भावनाओं को आहात करने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ