शुक्रवार, 19 दिसंबर 2008

इंसान को इंसान होना चाहिए!

बस यहां इंसान को इंसान होना चाहिए।

आदमी-आदमी का भी सम्मान होना चाहिए,

जिन्दगी को प्यार का उनवान होना चाहिए!

नेता-फरिस्ता-देवता,भग्वान और अवतार क्यों?

बस यहां इंसान को इंसान होना चाहिए!

क्या यही बस जरूरते है-रोटियां-कपड़े-मकां,

ाथ में होठो पे भी मुस्कान होना चाहिए!

कोई पहले,कोई आखिर-सब मरेंगे-सच यही,

पर बिच में तो जीने का सम्मान होना चाहिए!

बारूद के इस गांव में जीने की बस एक राह है,

अब मोहब्बत का भी रास्ता आसन होना चाहिए!

बस यह इंसान को इंसान होना चाहिए!

9 टिप्‍पणियां:

  1. pintu bete bahut achcha likha ,chhoti umra mein bada kaam. badhai.

    mere blog par ek kavita " insaan mein insaniyat sabse zaroori cheez hai" ek baar padhen , aapka swagat hai.

    dream se yogesh swapn

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  2. बेनामी19/12/08 21:22

    हैवानियत,शैतानियत का; कर सके जो खात्मा
    उस बहादुर शख्स का,गुण गान होना चाहिए

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  3. बहुत सुंदर भाव के साथ अच्‍छी लिखी गयी है यह कविता।

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  4. nice poem.

    bhav aur vichar ka achcha samnvay.

    मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है- आत्मिवश्वास से जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो इसे पढें और प्रितक्रिया भी दें

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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  5. पिंटू अंकल ठीक कहते हो

    जवाब देंहटाएं
  6. bahut hi sundar .. bhaavpoorn . abhivyakti se bhari hui ..

    appko bahut badhai...

    vijay
    pls visit my blog for new poems: http://poemsofvijay.blogspot.com/

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  7. आप जो खोज रहे है यहां जा के देख लीजिए

    जवाब देंहटाएं

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ॐ भूर्भुवः स्वः । तत् सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः । तत् सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः । तत् सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ pimp myspace profile