जुस्तजू जिसकी थी उसको तो न पाया हमने,
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने।
सबका अहवास वही है जो हमारा है आज,
ये अलग बात है की शिकवा किया तन्हा हमने।
ख़ुद पशेमान हुए ने उसे शर्मिंदा किया,
इश्क की वजह को क्या खूब निभाया हमने।
कोन सा कहर ये आंखो पे हुआ है नाजिम,
एक मुद्दत से कोई ख्वाब न देखा हमने।
उम्र भर सच ही कहा सच के सिवा कुछ न कहा,
अज्र क्या इसका मिलेगा ये न कभी सोचा हमने।
बहुत सुंदर लगी यह मीना कुमारी की गजल, आप का धन्यवाद फ़िर से इसे याद दिलाने के लिये
जवाब देंहटाएंआपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....
जवाब देंहटाएंकोन सा कहर ये आंखो पे हुआ है नाजिम,
जवाब देंहटाएंएक मुद्दत से कोई ख्वाब न देखा हमने।
bahut sundar gazal hai.
दोस्त रचनाकार इतना तो हक़ रखता है कि उसकी रचना का इस्तेमाल करो तो उसका नाम भी साथ में दे दो.
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